तजुर्बे ने ये 10 बातें सिखाई है – आप भी ज़रूर पढ़ें ||
(1) आजकल लोग समझते ‘कम’ और समझाते ‘ज्यादा’ हैं,
तभी तो मामले सुलझते ‘कम’ उलझते ‘ज्यादा’ हैं!
(2) ज़ुबान की हिफाज़त, दौलत से ज्यादा मुश्किल है !
(3) गरीबों का मज़ाक मत उड़ाओ, क्युँकि गरीब होने में वक्त नहीं
लगता!
(4) अगर इबादत नहीं कर सकते, तो गुनाह भी मत करो !
(5) दुनिया ये नहीं देखती कि तुम पहले क्या थे,
बल्कि ये देखती है कि तुम अब क्या हो !
6) जहां अपनी बात की कदर ना हो, वहां चुप
रहना ही बेहतर है !
(7) धनवान वह नहीं, जिसकी तिजोरी नोटों से भरी हो ,
धनवान तो वो हैं जिसकी तिजोरी रिश्तों से भरी हो !
(8) लोगों से मिलते वक्त इतना मत झुको, कि उठते
वक्त सहारा लेना पड़े!
(9) शिकायते तो बहुत है तुझसे ऐ जिन्दगी,
पर चुप इसलिये हु कि, जो दिया तूने,
वो भी बहुतो को नसीब नहीं होता!
(10) न सफारी में नज़र आई और न ही फरारी में नज़र आई;
जो खुशिया बचपन मै दोस्तों के साथ साईकिल की सवारी में नज़र आई।
(1) आजकल लोग समझते ‘कम’ और समझाते ‘ज्यादा’ हैं,
तभी तो मामले सुलझते ‘कम’ उलझते ‘ज्यादा’ हैं!
(2) ज़ुबान की हिफाज़त, दौलत से ज्यादा मुश्किल है !
(3) गरीबों का मज़ाक मत उड़ाओ, क्युँकि गरीब होने में वक्त नहीं
लगता!
(4) अगर इबादत नहीं कर सकते, तो गुनाह भी मत करो !
(5) दुनिया ये नहीं देखती कि तुम पहले क्या थे,
बल्कि ये देखती है कि तुम अब क्या हो !
6) जहां अपनी बात की कदर ना हो, वहां चुप
रहना ही बेहतर है !
(7) धनवान वह नहीं, जिसकी तिजोरी नोटों से भरी हो ,
धनवान तो वो हैं जिसकी तिजोरी रिश्तों से भरी हो !
(8) लोगों से मिलते वक्त इतना मत झुको, कि उठते
वक्त सहारा लेना पड़े!
(9) शिकायते तो बहुत है तुझसे ऐ जिन्दगी,
पर चुप इसलिये हु कि, जो दिया तूने,
वो भी बहुतो को नसीब नहीं होता!
(10) न सफारी में नज़र आई और न ही फरारी में नज़र आई;
जो खुशिया बचपन मै दोस्तों के साथ साईकिल की सवारी में नज़र आई।